।। सभी डॉक्टरों को समर्पित ।।
श्रेष्ठता का बने पर्याय तुम,
संघर्षों का सतत अध्याय तुम,
बाल काल से ही तीक्ष्ण रहे,
इसलिए डॉक्टर बन पाए तुम।
विपत्तियों से दूर लाए तुम,
कई जिंदगियां बचाये तुम,
पैसे का जग में बोल बाला,
पर दया भाव दिखलाये तुम।
काल से भी लड़ गए,
निर्बल सबल तुम कर गए,
सब छोड़ गए तब साथ दिए,
कितने अहसान कर गए।
हर देह तुम्हारा ऋणी आज,
नमन करे पूरा समाज,
कल्याण की मूरत हो तुम,
मातृभूमि को तुमपर है नाज़।